किसान की व्यथा। - कहानी
*किसान की व्यथा* Story Concept and Written By-Ankit Tripathi दिन ढल रहा था, रामलाल अपने गेंहू के खेत से कंधे पर कुदाल और फावड़ा लिए अपने घर की ओर लौट रहा था। घर आते ही आंगन के चौतरे पर कुदाल फावड़ा रख कर बैठ गया और पत्नी प्रेमा को आवाज़ लगाई - प्रेमा हाथ में पानी का गिलास लिए हुए आई और बोली - आप हाथ पांव धुल लीजिए हम चाय बना के लाते हैं। लेकिन रामलाल शांत कुछ सोचता हुआ वहीं बैठा रहा - प्रेमा चाय लेकर आई और उसे बैठा देखकर बोली - काहे, बैठे हैं अभी तक ? हाथ मुंह नहीं धोए, का बात है? परेशान लग रहे हैं ?? रामलाल गहरी सांस लेते हुए बोला - लगता है इस बार भी फसल में मुनाफा न हो पाएगा। फसल में कीड़े लग गए हैं और खेत में टिड्डियों ने भी हमला कर दिया आज। अभी सरपंच बाबू का पिछले साल का ही पचास हज़ार का उधार बाकी है, तुम्हारे पथरी का ऑपरेशन कराए थे तो डॉक्टर साहब का भी उधार है। और बेटे की स्कूल की पढ़ाई भी पूरी हो गई है, इसे भी कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर भेजना है, वहां का खर्च और कॉलेज का दाखिला.....???? इतना कहते कहते रामलाल तो पड़ा। बल्कि जिस घर में वो रह रहा था उसे भी उसके बाप - दादाओं ने बनाकर